भगवान लकड़ी, पत्थर या मिट्टी की मूर्तियों में नहीं रहते. उनका निवास हमारी भावनाओं में है, हमारे विचारों में है.
-चाणक्य
God Hindi Quotes- ईश्वर न काबा में है, न काशी में वह तो घर-घर में व्याप्त है हर दिल में मौजूद है.
-महात्मा गाँधी
परमात्मा ने प्रत्येक रूप के अनुरूप अपना रूप बना लिया.
-ऋग्वेद
परमेश्वर ही यह सब है-जो उत्पन्न हुआ और जो भविष्य में जन्म लेने वाला है.
-ऋग्वेद
God Hindi Quotes- महद् यश नाम वाले परमात्मा की कोई प्रतिमा (उपमा) नहीं है.
-यजुर्वेद
सात्विक होने के कारण, सृष्टि रूप होने के कारण, तथा जगत् के साक्षी रूप होने के कारण वह ईश्वर जगत् की सृष्टि करने, न करने तथा अन्यथा करने में समर्थ है.
-सरस्वतीरहस्योपनिषद्
वह माया सर्वदा ईश्वर की अपने अधीन रहने वाली उपाधि है. माया को वश में रखना, एकत्व और सर्वज्ञता ईश्वर के लक्षण है.
-सरस्वतरहस्योपनिषद्
सब देवता उन सनातन भगवान् की उपासना करते है, उन्ही के प्रकाश से सूर्य प्रकाशित होते हैं और योगी जन उन्हीं का साक्षात्कार करते हैं.
-वेदव्यास
हे अर्जुन मुझसे अधिक श्रेष्ठ दूसरी वस्तु नहीं है. यह संपूर्ण जगत्, सूत्र में मणियों के सदृश्य, परमात्मा में गुँथा हुआ है.
-वेदव्यास
हे अर्जुन मैं बलवानों का आसक्ति और कामनाओं से रहित बल हूं ओर सब प्राणियों में धर्म के अनुकूल ‘काम’ हूँ.
-वेदव्यास
God Hindi Quotes-आप जानने योग्य परम अक्षर है. आप इस विश्व के परम निधान हैं. आप अविनाशी हैं. आप शाश्वत धर्म के रक्षक है. आप सनातन पुरूष है. ऐसा मेरा मत है.
-वेदव्यास
आप आदि देव और पुराण पुरूष हैं. आप इस जगत् के परम आश्रय हैं. आप जानने वाले तथा जानने योग्य और परमधाम है. हे अनन्तरूप आपसे यह सब जगत् व्याप्त है.
-वेदव्यास
आप इस चराचर जगत् के पिता और गुरू से भी बड़े गुरू एव अति पूजनीय है. हे अप्रतिम-प्रभाव तीनों लोकों में आप के समान भी दूसरा कोई नही है, फिर अधिक श्रेष्ठ कैसे होगा.
-वेदव्यास
हे अर्जुन शरीर रूपी यन्त्र में आरूढ़ हुए संपूर्ण प्राणियों को अन्तर्यामी परमेश्वर अपनी माया से घुमाता हुआ सब प्राणियों के हृदय में स्थित है.
-वेदव्यास
वह न तो स्त्री है, न पुरूष है औैर न नपुंसक है. न सत् है, न असत् है और न सदसत् उभयरूप ही है. ब्रह्मज्ञानी पुरूष ही उसका साक्षात्कार करते है. उसका कभी क्षय नही होता, इसलिए वह अविनाशी परब्रह्म परमात्मा अक्षर कहलाता है.
-वेदव्यास
इन्द्रियों से मन श्रेष्ठ है, मन से बुद्धि श्रेष्ठ है, बुद्धि मे ज्ञान श्रेष्ठतर है, और ज्ञान से परात्पर परमात्मा श्रेष्ठ है.
-वेदव्यास
God Hindi Quotes- ईश्वर के वश में सभी लोग कठपुतली जैसे है.
-भागवत
सभी देहधारियों का एक ही परम आत्मा है, मूर्खो को वही नाना प्रकार से दिखाई देता है जैसे ज्योति और आकाश
-भागवत
जो सत्य है, जो अमृत है, जो अक्षर है, जो परम है, जो परम भत है, जो भविष्यमाण है, जो कुछ भी जगत् में चर व अचर रूप में विद्यमान है तथा उसके अतिरिक्त भी जो कुछ है, वह सब कुछ पुराण पुरूष श्रेष्ठ प्रभु ही है.
-मत्यस्य पुराण
God Hindi Quotes- जैसे आकाश से गिरा हुआ जल समुद्र को चला जाता है, उसी प्रकार सब देवताओं को किया गया नमस्कार केश्व को प्राप्त होता है.
-पांडव गीता
ईश्वर में सर्वज्ञ-बीज की निरतिष्यता है.
-पतंजलि
ईश्वर प्राचीन गुरूओं का भी गुरू है क्योंकि वह काल से अनवच्छिग्न है.
-पतंजलि
God Hindi Quotes- ईश्वर का वाचक प्रणव है.
-पतंजलि
ईश्वरीय शक्ति के सम्मुख मानवी शक्ति बली नही है.
-दण्डी
भगवान स्वयं परमानन्द-स्वरूप है अतः जब वे मन में प्रवेश कर जाते हैं, तब वह मन पूर्ण रूप से भगवान् के आकार का होकर रसमय बन जाता है.
-मधुसूसदन सरस्वती
चाहे किसी भी प्रकार से क्यों न हो (अर्थात् सब प्रकार से) पूजा के योग्य और जहाँ-जहाँ भी(अर्थात् सर्वत्र) पूजित जो कुछ भी रूप् है वह अर्थात् सर्वस्वरूप हे देव तुमको प्रणाम है.
-अज्ञात
कर्मकांडी व्यक्ति का ईश्वर अग्नि में, मनीषियों का ईष्वर हृदय में, मन्दबुद्धि का मूर्ति में निवास करता है किन्तु ज्ञानियों का शिव सर्वत्र निवास करता है.
-अज्ञात
विमल स्वभाव वाले उस परमात्मा को त्यागकर तीर्थ-यात्रा, गुरू-सेवा अथवा किसी अन्य देव की चिन्ता करना व्यर्थ है.
-योगीन्द्र
वह परमात्मा न देवालय में है, न षिला में है, न लेप्य में है और न चित्र में है. वह अक्षय, निरंजन, ज्ञानमय षिव समचित्त में है.
-योगीन्द्र
हे योगी जिस-जिस शिव को देखने के लिए तू तीर्थ से तीर्थ घुमता-फिरता है, वह शिव तो तेरे साथ-साथ धूमता फिरा तो भी तू से न पा सका.
-मुनि रामसिंह
जिसमें नित्य नये पत्ते और फूल निकलते रहेते हैं, ऐसे संसार-वृक्ष स्वरूप आपको हम नमस्कार करते हैं.
-तुलसीदास
God Hindi Quotes- भगवान दुखियों से अत्यन्त स्नेह करते हैं.
-जयषंकर प्रसाद
ईश्वर को न जानना अपने आंशिक ज्ञान में जीवित रहना है।
-सुमित्रानंदन पंत
तर्क वितर्को की न व्यर्थ गुत्थी सुलझाओ,सीधा ईष्वर का साक्षात् करो जीवन में.
-सुमित्रानंदन पंत
सौन्दर्य और शील भगवान के लोक-पालन और लोक-रंजन के लक्षण हैं और शक्ति उद्भव और लय का लक्षण है.
-रामचन्द्र शुक्ल
धन ओर ईश्वर में बनती नहीं. गरीब के घर में ही प्रभु निवास करते हैं.
-महात्मा गांधी
आदमी जितना असमर्थ है, भगवान उतना ही समर्थ है. उसकी कृपा अपरम्पार है और वह हजार हाथों में मदद करता है.
-महात्मा गांधी
भूख से मरते बेकार लोगों का परमेश्वर तो योग्य काम और उससे मिलने वाली रोटी ही है, उनके लिए परमेषवर का यही एकमात्र स्वीकार्य रूप हो सकता है.
-महात्मा गांधी
ईश्वर को नहीं मानने से सबसे बड़ी हानि वही है, जो हानि अपने को न मानने से हो सकती है. अर्थात् ईश्वर को न मानना आत्महत्या के समान है.
-महात्मा गांधी
ईश्वर को नाम की जरूरत नहीं. वह और उसके, नियम दोनों एक ही हैं. इसलिए ईश्वरीय नियमों का पालन ही ईश्वर का जप है.
-महात्मा गांधी
ईश्वरीय प्रकाश किसी एक राष्ट्र या जाति की सम्पत्ति नहीं है.
-महात्मा गांधी
ईश्वर न तो ऊपर स्वर्ग में है, न नीचे किसी पाताल में; वह तो हर-एक के हृदय में विराजमान है.
-महात्मा गांधी
ईश्वर एक अनिर्वचनीय रहस्यमयी शक्ति है, जो सर्वत्र व्याप्त है; मैं उसे अनुभव करता हूँ, यद्यपि देखता नहीं हूँ.
-महात्मा गांधी
ईश्वर जीवन है, सत्य है, और प्रकाश है. वही प्रेम है; वही परम मगंल है.
-महात्मा गांधी
ईश्वर की असंख्य व्याख्याएँ हैं, क्योंकि उसकी विभूतियाँ भी अगणित है.
-महात्मा गांधी
ईश्वर के सामने हम सभी गोपियाँ हैं. ईश्वर स्वयं न नर है, न नारी है, उसके लिए न पंक्तिभेद है, न
जो ईश्वर को अपने पास समझता है वह कभी नहीं हारता.
-महात्मा गांधी
आश्चर्य है, वैद्य मरते है, डाॅक्टर मरते हैं, उनके पीछे हम भटकते है. लेकिन राम जो मरता नहीं है, हमेशा जिन्दा रहता है और अचूक वैद्य है, उसे हम भूल जाते हैं.
-महात्मा गांधी
कोश के सभी शब्दो का ‘ईश्वर’ ही एकमात्र अर्थ है.
-विनोवा
भगवान् सबसे दुःखी मनुष्यों में रहता है. वह महलों में नहीं जाता.
-सरदार पटेल
याद रखो-दुनिया में दो ही चीजें हैं-भगवान् और भगवान् की लीला. जड़ चेतन सब कुछ भगवान् हैं और जगत् में जो कुछ हो रहा है सब उनकी लीला हो रही है.
-हनुमानप्रसाद पोद्दार
वह सबको शरण देने वाला है, दाता, और सहायक है. अपराधों को क्षमा करने वाला है, जीतिका देने वाला है और चित्त को प्रसन्न करने वाला है.
-गुरू गोविन्दसिंह
जो ईश्वर के वाक्यों पर विश्वास करता है उसके लिए भगवान स्वयं पथ-प्रदर्षेक बन कर आता है.
-गुरू गोविन्दसिंह
उस ईश्वर का जो प्रकाश सर्वत्र फेला हुआ है उससे बेखबर मनुष्य इस नाशवान सौन्दर्य से तू क्या करेगा.
-जामी
पृथ्वी से लेकर आकाश तक सम्पूर्ण विस्तार में सही और संभव (ईष्वर) के अतिरिक्त ओर कुछ भी नहीं है.
-जामी
वह तेरे निकअ है, दूर खोजने की आवश्यकता नहीं. वह शून्य के साथ शून्य मिल जाने के अतिरिक्त और कुछ नहीं
-लल्लेश्वरी
जीव उसे दिशा-दिशान्तरों में खोजता है परन्तु अन्त मे शून्य में उसका निवास पाता है.
-रूपभवानी
हे मेरे प्रभु मै तुम्हारा दास हूँ और तुम मेरे स्वामी. सारा विश्व भले ही नष्ट हो जाए किन्तु तुम्हारी सत्ता बनी रहेगी. तुम्हारी शान को कोई सीमा नहीं है-जैसे तुम पहले थे, वैसे ही आज भी हो.
-अब्दुल वाहब परे ‘वाहब’
वह एक है और ओंकारस्वरूप् है, सत्य नाम वाला है, कर्ता है, पुरूष है, निर्भय है, निर्वेर है, नित्य अविनाषी है, अयोनि है, स्वयंभू है तथा गुरू-कृपा से प्राप्य है.
-गुरूनानक
परमात्मा आदि में सत्यरूप से स्थित था, युगों के आदि में भी वह सत्य रूप ही था, अब वर्तमान में भी सत्य रूप ही है और भविष्य में भी सत्य ही रहेगा.
-गुरूनानक
तुम्हे जान लेने पर कोई पराया नहीं रहेगा. न तो कोई टोकेगा और न किसी का भय ही रहेगा.
-रवीन्द्रनाथ ठाकुर
सम्पूर्ण कर्मो में तुम्हारी ही शक्ति है, इसी को सार समझकर, सम्पूर्ण कर्मो में मैं तुम्हारा ही प्रचार करूगाँ.
-रवीन्द्रनाथ ठाकुर
मै तो नहीं गाती. न जाने मेरे प्राण के गोपनीय अन्तराल में कौन गाता है. मैं तो स्वयं नहीं जानती कि वह कौन है जो मेरी जीवन-वीणा अनजाने स्वरों से बजाता है.
-नलिनी बाला देवी
यह सकल संसार परमेशवर की प्रजा है. सभी मनुष्य कुटम्बी है और इस परिवार के पिता परमेश्वर हैं.
-दलपराम
यह संसार निस्सार है, केवल भगवान ही सार है.
-तुकाराम
जिसका किसी भी तरह वर्णन किया जाना संभव नही है, जो कैसा है, यह जाना नहीं जा सकता, जिसका अस्तित्व नित्य ही रहता है, ऐसे उस परमात्मा को देखो.
-ज्ञानेश्वर
अनाथ मैं तो नही हूं क्योंकि आप मेरे हैं. पर वास्तव में सनातन वैदिक विद्वानों के मुंह से सुना है कि आप अनाथ है, आपका कोई नहीं है.
-त्यागराज
खारे पानी में जल की तरह, ज्योति मे कर्पूर की तरह इस मन से एकाएकार होकर अदृश्य रूप से ईश्वर रहता है.
-वेमना
प्रेरक वचन