जो व्यक्ति अतिथि को भोजन कराने से पहले स्वयं भोजन खा लेता है, वह अपने घर की कीर्ति ओर यश को खा लेता है.
-अथर्ववेद
वह आएं घर में हमारे खुदा की कुदरत है. कभी हम उनको, कभी अपने घर को देखते है.
-गालिब
जो व्यक्ति अतिथि से पहले ही खा लेता है, वह-अपने घर की श्री ओर ज्ञान को खा लेता है.
-अथर्ववेद
जो अतिथि को न खिलाया जाए वह स्वयं भी नहीं खाना चाहिए.
-मनुस्मृति
जो मनुष्य केवल अपने लिए भोजन पकाता है, वह केवल पाप खाता है.
-मनुस्मृति
जो वेदज्ञ हे वही अतिथि है, इसलिए अतिथि को खिलाने से पहले भोजन नहीं करना चाहिए.
-अथर्ववेद
या की आत्मा के लिए और यज्ञ की निरन्तरता के लिए अतिथि के भोजन कर लेने के पश्चात ही स्वयं खाये, यही नियम है.
-अथर्ववेद
स्वर्ण की माला पहनने वाला,मणिस्वरूप यह अतिथि श्रद्धा, यज्ञ और महनीयता को धारण करता हुआ हमारे घर में निवास करे.
-अथर्ववेद
Guest Quotes in Hindi- अतिथि देवो भव
अतिथि को भोजन कराने से पूर्व स्वयं भोजन कर लेना पूर्णतया अनुचित है.
-षतपथ ब्राह्मण
जिसके घर पर ब्राह्मण अतिथि बिना खाए-पिए रहता है, उस अल्पबुद्धि मनुष्य की आज्ञा, प्रतीक्षा, संगति, श्रेष्ठ वाणी, इच्छा-पूर्ति, पुत्र ओर पशु सभी को वह नष्ट कर देता है.
-कठोपनिषद्
अतिथि को देवता मानने वाले बनो.
-तैत्तिरीय उपनिषद्
अपने घर पर किसी भी अतिथि को प्रतिकूल उत्तर न दे. यह एक व्रत हैै।
-तैत्तिरीयोउपनिषद्
जैसे अमृत की संप्राप्ति, जैसे जलहीन स्थान पर वर्षा, जैसे निःसंतान मनुष्य सदृष पत्नी से पुत्रजन्म, जैसे नष्ट सम्पत्ति की पुनः प्राप्ति, जैसे हर्ष का अतिरेक, उसी प्रकार मै आपका आगमन मानता हूं. हे महामुनि! आपका स्वागत है.
-वालमीकि रामायण
Guest Quotes in Hindi- घर आये व्यक्तियों को प्रेम पूर्ण दृष्टि से देखे, मन से उनके प्रति उत्तम भाव रखे, मीठे वचन बोले था उठकर आसन दे. गृहस्थ का सही सनातन धर्म है. अतिथि की अगवानी और यथोचित रीति से आदर सत्कार करे.
-वेदव्यास
घर आये अथिति को प्रसन्न दृष्टि से देखे. मन से उसकी सेवा करे. मीठी ओर सत्य वाणी बोलें तब तक वह रहे सकी सेवा में लगा रहे और जब वह जाने लगे तो उसके पीछे कुछ दूर तक जाए-ये पांच कार्य गृहसथ का पांच प्रकार की दक्षिणा से युक्त यज्ञ है.
-वेदव्यास
जिस गृहस्थ का अतिथि पूजित होकर जाता है, उसके लिए उससे बड़ा अन्य धर्म नहीं है-मनीषी पुरूष ऐसा कहते है.
-वेदव्यास
घर पर आए शत्रु का भी उचित आतिथ्य करना चाहिए. काटने के लिए आए हुए व्यक्ति पर से भी वृक्ष अपनी छाया को हटाता नहीं है.
-वेदव्यास
जिस गृहस्थ के घर से अतिथि निराश होकर लौट जाता है, वह उस गृहस्थ को अपना पाप देकर उसका पुण्य ले जाता है.
-वेदव्यास
जिसका नाम और गोत्र पहले से ज्ञात न हो और जो दूसरे गांव से आया हो ऐसे व्यक्ति को विद्वान पुरूष अतिथि कहते हैं. उसका विष्णु की भांति पूजन करना चाहिए.
-नारदपुराण
जलाने के लिए अग्नि प्रभु है। वीज बोने के लिए भूमि प्रभु है. प्रकाश के लिए सूर्य प्रभु है. सत्पुरूषों के लिए अभ्यागत प्रभु है.
-मत्स्यपुराण
Guest Quotes in Hindi- अतिथि के लिए तृण, भूमि, जल और मधुर वचन- इनका सज्जनों के घर पर कभी अभाव नहीं होता.
-मनुस्मृति
अस्त होते हुए सूर्य द्वारा सांय काल को भेजा हुआ अतिथि गृहस्वामी को वापस नहीं करना चाहिएं चाहे वह उचित समय पर आये अथवा अनुचित. उसे भोजन कराके घर में रखना ही चाहिए.
-मनुस्मृति
Guest Quotes in Hindi- मीठे वचनों से स्वागत ही सच्चा अतिथि सत्कार होता है.
-भास
अतिथि कैसा भी हो, उसका आतिथ्य करना श्रेष्ठ धर्म है.
-अष्वघोष
शिष्टाचार के कारण अपनी आत्मा को भी तिनके के समान लघु बनाना चाहिए, अपना आसन छोड़कर अतिथि को देना चाहिए, आनन्द के अश्रुओं से जल देना चाहिए और मधुर वचनोें से कुषलक्षेम पूछना चाहिए.
-श्रीहर्ष
अतिथि के आने पर कोई शरीर से विनय प्रकट करते हे और कोई वाणी से षिष्टाचार दिखाते है, परन्तु कुछ संत ऐसे भी होते है जो रोगांच के द्वारा ही अतिथि का स्वागत प्रारंभ कर देते है.
-भानुदत्त
जिसके घर से अतिथि असम्मानित होकर दीर्घष्वास छोड़ता हुआ चला जाता है, उसके घर से पितरों सहित देवता भी विमुख होकर चले जाते हैं.
-विष्णु शर्मा
उत्तम वर्ण के व्यक्ति के घर आए हुए निम्नवर्ण के अतिथि की भी समुचित पूजा होनी चाहिए क्योंकि अतिथि सर्वदेवस्वरूप होता है.
-नारायण पंडित
अतिथि सबके आदर का पात्र है.
-अज्ञात
जो लोग घर पर आए हुए प्रियजनों का स्वागत-सत्कार कर उन्हें आनंदित करते है, उनके घर सदा निःषंक मन से जाना चाहिए.
-अज्ञात
‘अतिथि’ देव का अर्थ है समाज-देवता. समाज अव्यक्त है, अतिथि व्यक्त है. अतिथि समाज की व्यक्त मूर्ति है.
-विनोबा
अपरिचित अतिथि को भोजन दे परन्तु निवास न दे.
-हिंदी लाकोक्ति
दो दिन तो पाहुना (अतिथि), तीसरे दिन अनखाने वाला
-राजस्थानी लोकोक्ति
घर आया शत्रु भी अतिथि होता है.
-राजस्थानी लोकोक्ति
जब कोई अतिथि घर पर आता है तो मै उससे कह देता हूं ‘‘ यह तुम्हारा ही घर है’’.
-सुतकेशव
अतिथि प्रथम दिन सुवर्ण, दूसरे दिन चांदी, तीसरे दिन कचराकेशव
-तेलुगु लोकोक्तिकेशव
अतिथ्य का निर्वाह न करने की मूढ़ता ही धनी की दरिद्रता है. यह बुद्धिहीनों में होती है.
-तिरूवल्लुवर
मुंह टेढ़ा करके देखने मात्र से अतिथि का आनन्द उड़ जाता है.
-तिरूवल्लुवर
दरिद्रों में दरिद्र वह है जो अतिथि का सत्कार ने करे.
-तिरूवल्लुवर
ठहरना चाहते अतिथि को जल्दी विदा कर देना और विदा चाहते अतिथि को रोक लेना समान रूप से आपत्ति-जनक होते हैं.
-होमर
अतिथि कभी भी उस आतिथेय को नहीं भूलता है जिसने उससे सद व्यवहार किया है.
-होमर
आतिथेय और अतिथि के मध्य जा भावना होती है उससे अधिक सदय भावना और कौन-सी होगी
-एस्किलस
अतिथि की अवधि केवल सात दिन होती है.
-बर्मी लोकोक्ति
मछलियाँ और अतिथि तीन दिन के बाद गंध देने लगते हैं.
-डेनमार्क देष की लोकोक्ति
आतिथेय वर्ष भर में जो देखता है, उससे अधिक अतिथि एक घंटे में देख लेेता है.
-पोेलैंड देष की लोकोक्ति
हर अतिथि दूसरे अतिथियों से घृणा करता है। और आतिथेय सब अतिथियों से घृणा करता है.
-अल्बानिया देष की लोकोक्ति,
अनाहुत अतिथि प्रायः चले जाने के बाद ही सबसे अधिक अभिनन्दित होते है.
-शेक्सपियर
सच्ची मित्रता के नियम इस सूत्र में अभिव्यक्त हैं-आने वाले अतिथि का स्वागत करो और जाने वाले अतिथि को जल्दी विदा करो.
-अलेक्जेडर पोप
यदि मेरे सन्ध्याकालीन अतिथि घड़ी नहीं देख सकते तो उन्हें मेरे मुखंडल में सयम देख लेना चाहिए.
-एमर्सन
सुखी है वह मनुष्य जो अतिथि को देखकर कभी मुंह नहीं लटका लेता है, अपितु हर अतिथि का प्रसन्नतापूर्वक स्वागत करता है.
-एमर्सन
आदर्श अतिथि होने के लिए, घर पर ही रहो.
-एडगर बाटसन होर्न
विनम्रता एक गुण है ओर यह गुण अतिथियों में स्वाभाविक रूप से होता है.
-मैक्स बीरबोह्य
अतिथि-सत्कार की प्रवृति पूर्णतया परोपकारमयी नहीं है. इसमें अभिमान और अहंकार मिश्रित होते है.
– मैक्स बीरबोह्य
जब अतिथि-सत्कार कला बन जाता है, तो वह निष्प्राण हो जाता है.
-मैक्स बीरबोह्