बू मोशाय बड़ी होनी चाहिये … लंबी नहीं.

– आनंद फिल्म में राजेश खन्ना

जब मनुष्य केवल अपने आत्मा को परमार्थ . अर्थात् परब्रह्मरूप में देखता है और संपूर्ण जगत् को माया का विलास मात्र मानता है, तब उसे परमांनद की प्राप्ति हो जाती है.

– दर्षनोपनिषद्

Happiness Quotes in Hindi जिस आनन्द में सभी सहभागी न हों, वह अपूर्ण है.

-अरविन्द

आनन्द को दूसरों की आंखों से देखना कितना दुखद है.

-शेक्सपियर

परिश्रम के पश्चात् नींद,  तूफ़ानी समुद्र के पश्चात् बन्दरगाह,  युद्ध के पश्चात् विश्राम और जीवन के पश्चात् मृत्यु अत्यधिक आनन्दप्रद होते है.

-एडमंड स्पेन्सर

Happiness Quotes in Hindi आनन्द दिन पर शासन करता था और प्रेम, रात्रि पर.

-जान ड्राइडेन

ओ आनन्द की भावना ! तुम कभी-कभी आती हो.

– रेयरली

विद्वान का चैतन्य रस कसे पूर्ण बुद्धि के द्वारा नित सुख में स्थित रहना चाहिए.

-उपनिषद्

Happiness Quotes in Hindi दिव्य रस का स्वाद प्राप्त कर लेने के अन्तर रस्रान्तर में कौन अनु-रक्त हो सकता है.

-सोमदेव भट्ट

विचार करने पर इस लोक में आनंद की दो अवस्थाएँ पाई जाएँगी साधनावस्था और सिद्धावस्था. 

-रामचन्द्र शुक्ल

अधर्म-वृत्ति को हटाने में धर्मवृत्ति की तत्परता-चाहे वह उग्र और प्रचण्ड हो, चाहे कोमल और मधुर-भगवान की आनंद-कला के विकास की ओर बढ़ती हुई गति है. ’यह गति आदि से अंत तक सुन्दर होती है-अंत चाहे सफलता के रूप में हो चाहे विफलता के.

-रामचन्द्र शुक्ल

आनन्द, आनन्द, कहाँ है आनन्द ! हाय ! तेरी खोज में मैने व्यर्थ जीवन गँवाय.

-रामकृष्ण दास

साहित्य और कला की हमारी पूरी परंपरा में, जीव की प्रधान कामना आनंद की अनुभूति है.

-लक्ष्मीनारायण मिश्र

Happiness Quotes in Hindi सच्चा आनन्द केवल सेवाव्रत में है.

-अज्ञात

हर बात में लज्जत है अगर दिल में मजा हो.

-अमीर

कर्म-भूमि में संतोष के बीज को धर्म के पानी से सीचंने पर जो प्राप्ति होगी, वह आनन्दरूपी फल होगा.

-परमानन्द

‘आनंद’ किस रूप में अपने को प्रकाशित करता है ? प्राचुर्य में ऐष्वर्य में, सौंदर्य में.

-रवीन्द्रनाथ ठाकुर

जगत् में हमारा आनन्द और हमारा प्रेम ही सत्य के प्रकाश रूप की उपलब्धि है.

-रवीन्द्रनाथ ठाकुर

Happiness Quotes in Hindi मनुष्य का स्थायी आनन्द किसी वस्तु के ग्रहण में नहीं, वरन् अपने को उसके प्रति समर्पित करने में है, जो अपनी अपेक्षा अधिक महान है, तथा अपने को उन विचारों के प्रति समर्पित करने में है, जो व्यक्ति के आत्मा की अपेक्षा अधिक विशाल हैं-जैसे अपने देष का विचार, मानवता का विचार, परमात्मा का विस्तार.

-रवीन्द्रनाथ ठाकुर

प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ अपने हृदय को एकाकार करना, मन को संयम करके, प्रकृति की भाषा समझने का प्रयास करना, कष्टसाध्य अवश्य है, परन्तु सामान्य रूप में यदि कोई यह कर सके तो उसका हृदय आनन्द से ओत-प्रोत हो जाएगा.

-सुभाषचन्द्र

आनन्द सर्वदा अन्तरात्मा से प्रकट होता है,बाह्य पदार्थो से नहीं.

-शिवानन्द

आनन्द का अवतरण तब होता है जबकि जीव परमात्मा स्वरूप में विलीन होता है.

-शिवानन्द

ऐसा क्यों है और ऐसा क्यों नहीं- इसका कारण न बताने वाली बात स्थायी रूप स आनन्द नहीं दे सकती.

-कालरिज