गुरु पर महान लोगों के अनमोल वचन

यह तन विष की बेलरी गुरू अमृत की खान. सीस दिए जो गुरू मिले तो भी सस्ता जान. 

-कबीर

मार्ग को न जानने वाला अवश्य ही मार्ग को जानन वाले से पूछता हैं. गुरू के अनुसासन  का यही कल्याणदायक फल है कि वह अनुशासित, अज्ञानी पुरूष भी ज्ञान को प्रकाशित करने वाला वाणियों को प्राप्त करता है.     

 -ऋग्वेद

गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, का के लागूं पाय. बलिहारी गुरु आपणे, गोबिंद दियो मिलाय.

-कबीरदास

बिन गुरू होय न ज्ञान.

-तुलसीदास

जो शिष्य होकर भी शिष्यचित बर्ताव नहीं करता, अपना हित चाहने वाले गुरू को उसकी घृष्टता क्षमा नहीं करनी चाहिए.

-वेदव्यास

हरि सा हीरा छाड़ि कै, करै आन की आस. ते नर जमपुर जाहिँगे, सत भाषै रैदास.

–  रैदास

 अपना गुरू स्वयं प्राणी ही होता है, विशेस्कर  पुरूष के लिए, क्योंकि वह प्रत्यक्ष और अनुमान से श्रेय को जान लेता है.

-भागवत

Guru Quotes in Hindi- ‘गु’ शब्द का अर्थ है ‘अंधकार’ और ‘रू’ का अर्थ है तेज; अज्ञान का नाथ करने वाला तेजरूप ब्रहृा, गुरू ही है, इसमें संशय नहीं है.

– गुरूगीता

 गुरू ब्रह्मा है, गुरू विष्णु है; गुरू महेष्वर है; गुरू ही परब्रह्म है, उस गुरू के लिए नमस्कार है.

-स्कन्दपुराण

Guru Quotes in Hindi- जिसने ज्ञान-रूपी अंजन की सलाई से अज्ञानरूपी अंधेरे से अंधी हुई आंखों को खोल दिया, उन श्री गुरू को नमस्कार है.

-स्कन्दपुराण

ध्यान का आदिकारण गुरू मूर्ति है गुरू का चरण पूजा का मुख्य स्थान है. गुरू का वाक्य सब मन्त्रों का मूल है और गुरू की कृपा मुक्ति कारण है.

-स्कन्दपुराण

Guru Quotes in Hindi- शिष्य के धन का हरण करने वाले गुरू बहुत से हैं परन्तु शिष्य के दुःख को हरने वाला गुरू दुर्लभ है.

-स्कन्दपुराण

बन्धुओं तथा मित्रों पर नहीं, शिष्य का दोष केवल उसके गुरू पर आ पड़ता है. माता-पिता का अपराध भी नहीं माना जाता क्योंकि वे तो बा ल्यावस्था में ही अपने बच्चों को गुरू के हाथों में समर्पित कर देते है.

-भास

यदि गुरू अयोग्य शिष्य चुन तो उससे गुरू की बुद्धिहीनता ही प्रकट होती है.

-कालिदास

Guru Quotes in Hindi- गुरू का उपदेश निर्मल होने पर भी असाध्य पुरूष के कान में  जाने पर उसी प्रकार दर्द उत्पन्न करता है जैसे जल.

-वाणभट्ट

गुरूओं के शासन से विहीन किस की बा ल्यावस्था उच्छृंखल नहीं हो जाती ?

 -सोमदेव

अभिमान करने वाले, कार्य और अकार्य को न जानने वाले तथा कुपथ पर चलने वाले गुरू का भी परित्याग कर देना चाहिए.  

-कृष्ण मिश्र

गुरू को किया गया प्रणाम कल्याणकारी होता है.

-कर्णपूर

जिस प्रकार जन्मांध व्यक्ति हाथ पकड़ कर ले जाने वाले व्यक्ति के अभाव में कभी मार्ग से जाता है तो कभी कुमार्ग से. उसी प्रकार संसार में संसरण करता अज्ञानी प्राणी पथप्रदर्षक सद्गुरू के अभाव में  कभी पुण्य करता है तो कभी पाप.

-विसुद्धिमग्ग

अन्धा अन्धे का पथप्रदर्षक बनता है तो वह अभीष्ट मार्ग से दूर भटक जाता है.

-सूत्रकृतांग

जो केवल कहता फिरता है, वह शिष्य है. जो वेद का पाठ मात्र करता है, वह नाती है. जो आचरण करता है, वह हमारा गुरू है और हम उसी के साथी हैं.

-गोरखनाथ

बादल चल रहे हैं, आंधी चल रही है, बाढ़ के कारण लाखों लहरें उठ रही हैं. ऐसी अवस्था में सद्गुरू का पुकारा फिर तुम्हें डूबने का भय नहीं रहेगा.  

 -गुरूनानक

जो स्वरूप गुरू का अंतर में प्रकट होता है वह हाड़-मांस का नहीं है भक्तजन के निमित्त गुरू स्वरूप का आकार धारण करता है.  

  -राय सालिगराय हुजूर महाराज

केवल कान में मन्त्र देना गुरू का काम नहीं है. संकट से रक्षा करना शिष्य के कर्म को गति देना भी गुरू का काम है.  

 -लक्ष्मीनारायण मिश्र

ज्ञान की प्रथम गुरू माता है. कर्म का प्रथम गुरू पिता है. पे्रम का प्रथम गुरू स्त्री है और कर्त्तव्य का प्रथम गुरू सन्तान है.

 -आचार्य चतुरसेन शास्त्री

गुरू में हम पूर्णता की कल्पना करते हैं. अपूर्ण मनुष्यों को गुरू बना कर हम अनेक भूलों के शिकार बन जाते है.

-महात्मा गांधी

गुरू हमें सिखाता है कि विभिन्न शास्त्रों के ज्ञान के लिए हमें किस प्रकार व्याकुल रहना चाहिए, किस प्रकार पागल-जैसा बनना चाहिए. शिष्य को यह प्रतीत होता है कि गुरू मानो अनन्त ज्ञान की मूर्ति है. गूरू मानो एक प्रतीक होता है.

 -साने गुरूजी

हमारे गुरू का न आदि है, न अन्त. हमारे गुरू का न पूर्व है, न पश्चिम . हमारा गुरू है परिपूर्णता.

-साने गुरूजी

गुरू अपनी अन्धभक्ति पसन्द नहीं करते. गुरू के सिद्धान्तों को आगे बढ़ाना, उनके प्रयोगों को आगे चालू रखना ही उनकी सच्ची सेवा है.

-साने गुरूजी

निर्भयतापूर्वक ज्ञान की उपासना करते रहना ही गुरू-भक्ति है. एक दृष्टि से सारा भूतकाल हमारा गुरू है. सारे पूर्वज हमारे गुरू हैं.

-साने गुरूजी

शिष्य के ज्ञान पर सही करना, इतना ही गुरू का काम. बाकी शिष्य स्वावलंबी है.

-विनोवा भावे

जिन गुरु  ने मुझे इस संसार-सागर से पार उतारा, वे मेरे अन्तःकरण में विराजमान है, बुद्धिमानों को गुरू-भक्ति करनी चाहिए और उसके द्वारा कृतकार्य होना चाहिए.  

-ज्ञानेष्वर

सद्गुरू में बढ़ कर तीनों लोकों में कोई दूसरा नहीं है.   

-एकनाथ

उपदेश ऐसे करे जैसे मेघ बरसे. पर गुरू बनकर किसी को शिष्य न बनावे.

-तुकाराम

जो समाज गुरू द्वारा प्रेरित है, वह  अधिक वेग से उन्नति के पथ पर अग्रसर होता है, इसमें कोई संदेह नही. किन्तु जो समाज गुरू-विहीन है, उसमें भी समय की गति के साथ गुरू का उदय तथा ज्ञान का विकास होना उतना ही निशचित है.

-विवेकानन्द

तुमको अन्दर से बाहर विकसित होना है. कोई तुमको न सिखा सकता है न आध्यात्मिक बना सकता है. तुम्हारी आत्मा के सिवा और कोई गुरू नहीं है.  

-विवेकानन्द

विषयों का त्याग दुर्लभ है. तत्त्वदर्षन दुर्लभ है. सद्गुरू की कृपा बिना सहजावस्था की प्राप्ति दुर्लभ है.

-महोपनिषद्

गुरू की कृपा से, शिष्य बिना ग्रंथ पढ़े ही पंड़ित हो जाता है.

-विवेकानंद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *