अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है.

-डिजरायली

ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना.

-डेविड बोम

Gyani Quotes in Hindi- ज्ञानी से ज्ञानी मिले तो करे ज्ञान की बात। गधे से गधे मिले तो करे लातम लात.

-कहावत


जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया , उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया.

-विनोबा

Gyani Quotes in Hindi- एक सामान्य व्यक्ति विचारों का दास है जबकि एक ज्ञानी अपने विचारों का सम्राट है.

-शिवानन्द सरस्वती

ज्ञानी हृदय गुहा में स्थित उस सत् को देखता है जिसमें यह विश्व एक घोसला जैसा हो जाता है.

-यजुर्वेद

Gyani Quotes in Hindi- ज्ञानी वह नहीं, जो बहुत-सी बातें जानता है, लेकिन ज्ञानी वह है जो काम की बातें जानता है.

अज्ञात


ज्ञान एक खजाना है, और अभ्यास इसकी चाबी है.

-थामस फुलर

आत्मा को नीचे की अरणि तथा प्रवण को ऊपर की अरणि बनाकर ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान-मन्थन के अभ्यास द्वारा पाप को जला डालता है.

-कैवल्योपनिषद्

ब्रह्मचारी, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यासी, कोई भी हो और वह कहीं भी रहता हो, परम अक्षर तत्त्व को जानने वाला सदैव ज्ञानी ही होता है.

-ब्रह्मविद्योपनिषद्

Gyani Quotes in Hindi- इस प्रकार मोह से होने वाली मृत्यु को जानकर जो ज्ञाननिष्ठ हो जाता है, वह इस लोक में मृत्यु से कभी नहीं डरता. उसके समीप आकर मृत्यु उसी प्रकार नष्ट हो जाती है, जैसे मृत्यु के अधिकार में आया हुआ मरणाधर्म मनुष्य.

-वेदव्यास

ज्ञानी लोग मृतकों अथवा जीवितों के लिए शोक नहीं करते.

-वेदव्यास

हे अर्जुन ! गुण-विभाग और कर्म-विभाग के तत्त्व को जानने वाला ज्ञानी परूष संपूर्ण गुण गुणों में बरतते हैं, ऐसे मानकर आसक्त नहीं होता है.

-वेदव्यास

ज्ञानी ज्ञाता बहु मिले, पंडित कवि अनेक
राम रटा निद्री जिता, कोटि मघ्य ऐक।
ज्ञानी और ज्ञाता बहुतों मिले. पंडित और कवि भी अनेक मिले.किंतु राम का प्रेमी और इन्द्रियजीत करोड़ों मे भी एक ही मिलते हैं.

-संत कबीर

जो ब्राह्मण और चांडाल में, चोर और सदाचारी ब्राह्मण में, सूर्य और चिनगारी में तथा कृपालु और क्रूर में समदृष्टि रखता है, उसे ज्ञानी मानना चाहिए.

-भागवत

जहाँ-कहाँ भी जो कुछ खाकर, जैसा-तैसा वस्त्र पहन कर, जहाँ-कहाँ भी रहकर, जो आत्मसंतुष्ट रहता है, निर्जन स्थान में रहता है, और दूसरों के संसर्ग को ऐसे त्यागता है, जैसे काँटे को वह, बुद्धिमान शान्ति-सुख के रस को जानता है और वही ज्ञानी है.

-अश्वघोष

विद्वान अज्ञानी पुरूषों से निन्दा या स्तुति पाकर भी स्वयं न तो निन्दा करता है, न ही स्तुति. अपितु उनको जिससे ज्ञान प्राप्त हो वैसा ही आचरण करता है.

-विद्यारण्यस्वामी

इस अज्ञानी को, इस लोक में जिस आचरण से तत्व बोध हो, वह आचरण ज्ञानी करता है. क्योंकि ज्ञानी का, अज्ञानी को बोध देने के अतिरिक्त और कुछ कत्र्तव्य नहीं है.

-विद्यारण्यस्वामी

जो अपूर्ण है, वह आवाज करता है, और जो पूर्ण वह शांत रहता है. मूर्ख अधमरे जलघट के समान है और पंडित लबालब भरे जलाश्य के समान.

-सृत्तनिपात

जो अपने अन्दर को जानता है, वह बाहर को भी जानता है. जो बाहर को जानता है, वह अन्दर को भी जानता है.

-आचारांग

जिस गाँव धान होता है, उसका पता पुआल देखने से ही लग जाता है. इसी प्रकार किसी व्यक्ति में ज्ञान कितना है, इसका पता इससे लग जाता है कि उसका मन विषयों से कितना मुड़ा हुआ है.

-तुलसीदास

विविध कोणों से एक ही सत्य को देखा, परखा और अनुभव किया जा सकता है. इसलिए इन विविधताओं के सामंजस्य के द्वारा जो सम्पूर्ण का आकलन करने की शक्ति रखता है, वही तत्त्वदर्शी है, वही ज्ञाता है.

-दीनदयाल उपाध्याय

जानते हुए भी मूढ़ बन. देखते हुए भी चक्षुहीन बन. सुनते हुए भी गूँगा बन. जड़ रूप धारण कर. जो तुझसे जो कुछ कहे, उसको वही बात कह दे. तत्त्विद् का यही अभ्यास है.

-लल्लेष्वरी

ज्ञानी जो कर्म करता है उस कर्म से उसका कोई लाभ नहीं होता है. उससे लोक-कल्याण होता है.

-पानुगंटि

किसी के कहे बिना हृदय की बात को समझ लेने वाले से दूसरे व्यक्ति, सम्पत्ति में समान होने पर भी, बुद्धि के कारण विभिन्न ही ठहरते हैं.

-तिरूवल्लुवर

जो दूसरों को जानता है वह जानकार है, जो अपने आपको जानता है वह ज्ञानी है.

-लाओ-त्स

मैं उनसे बोलता हूं जो जानते हैं और उनकी अवहेलना कर देता हूं जो नहीं जानते हैं.

-एस्किलस

बाटने से ज्ञान कभी ख़तम नहीं होता बल्कि और बढ़ जाता हैं.

अज्ञात